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सुकून भरी शाम का तोहफ़ा

सुकून भरी शाम का तोहफ़ा

गाँव का एक छोटा-सा किनारा, जहाँ पेड़ों की छाँव हमेशा सुकून भरा माहौल बनाए रखती है। इस जगह का नाम था शांतिनिकेतन, और वहाँ एक बुजुर्ग व्यक्ति रहते थे—नाम था दादू। दादू को सब प्यार से बुलाते थे और उनके पास कहानियों का ख़ज़ाना था।

एक बार की बात है, जब गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं, गाँव के सभी बच्चे अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी को थोड़ी देर के लिए भुलाकर दादू की बगिया में शाम बिताने आए। हर शाम दादू की बगिया में बच्चों की हंसी-खुशी गूंजती रहती।

उस दिन दादू ने सभी बच्चों को पास बुलाया और कहा, "आज मैं तुम सबको एक ऐसी कहानी सुनाऊंगा, जिससे तुम्हारे दिल को सुकून मिलेगा।" बच्चों ने अपनी-अपनी जगह ली और चुपचाप बैठ गए।

दादू ने कहानी शुरू की: "बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल था जो अपनी शांति और हरियाली के लिए जाना जाता था। उस जंगल में सभी जानवर मिल-जुलकर रहते थे। वहाँ पर एक छोटा खरगोश, चंदू, था जो हमेशा अपनी व्यस्त दिनचर्या में लगा रहता। वह हमेशा घास जमा करता, अपने घर की सफाई करता और हर चीज़ को एकदम परफेक्ट बनाने में लगा रहता।

लेकिन इस सबके चलते, चंदू को एक चीज़ की कमी महसूस होती थी—शांति की। हर दिन की भागदौड़ ने उसे इतना थका दिया था कि वह मुस्कुराना तक भूल गया था।

एक दिन, चंदू ने सोचा, 'क्यों न कुछ समय खुद के लिए निकालूं?' उसने अपनी सारी जिम्मेदारियों को एक दिन के लिए किनारे रख दिया और जंगल की एक छोटी-सी झील के पास जाकर बैठ गया। झील का पानी शांत था, और उस पर सूरज की किरणें पड़ रही थीं।

झील के किनारे बैठते ही चंदू ने महसूस किया कि उसकी सारी थकान धीरे-धीरे दूर हो रही है। उसने झील की लहरों के साथ-साथ अपने अंदर की भागदौड़ को भी बहने दिया। वहीं बैठकर उसने पहली बार महसूस किया कि असली खुशी छोटी-छोटी बातों में है।

चंदू ने अपने दोस्तों—गिलहरी, हिरण और चिड़िया को भी वही अनुभव करने के लिए बुलाया। सारे जानवर झील के पास आए और एक दूसरे के साथ समय बिताया। सबने गाने गाए, कहानियाँ सुनाईं, और सूरज ढलने तक बस प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लिया।"

कहानी खत्म करते हुए दादू ने बच्चों से कहा, "इस भागदौड़ भरी दुनिया में, कभी-कभी रुकना और अपनी आत्मा को शांत करना ज़रूरी है। जब हम अपने आस-पास की छोटी-छोटी चीजों का आनंद लेना सीख जाते हैं, तब हमें असली खुशी मिलती है।"

बच्चों ने दादू की बात समझी। उन्होंने तय किया कि वे भी अपने-अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकालकर सुकून के पल खोजेंगे।

निष्कर्ष इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सुकून पाने के लिए हमें बड़ी चीजों की ज़रूरत नहीं होती। कभी-कभी एक शांत झील, हरे-भरे पेड़, या एक पुरानी कहानी ही काफी होती है। जब भी जीवन में तनाव हो, तो एक पल ठहरें, गहरी सांस लें, और अपने आसपास की खूबसूरती को महसूस करें।

आप इस कहानी को पढ़ने के बाद कुछ अलग महसूस कर रहे हैं?

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