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ढोलकपुर का उत्साही ढोलकिया – एक प्रेरणादायक और हास्यप्रद कहानी

ढोलकपुर का उत्साही ढोलकिया – एक प्रेरणादायक और हास्यप्रद कहानी

ढोलकपुर एक ऐसा गाँव था, जहाँ हर कोई अपने-अपने कामों में व्यस्त रहता था। लेकिन वहाँ के प्रसिद्ध ढोलकिया, मन्नू ढोलकिया का किस्सा आज भी लोगों की जुबान पर है। मन्नू, जो ढोलक पर ऐसे हाथ चलाता था जैसे कि वो किसी जादुई यंत्र को बजा रहा हो। पर उसका व्यक्तित्व ऐसा था, जो गंभीरता और हास्य का ऐसा मिश्रण था कि लोग उसकी हर बात पर हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते थे।

मन्नू की समस्या

मन्नू के ढोलक बजाने में एक ही समस्या थी—वो हमेशा ढोलक फोड़ देता था। कोई भी उत्सव हो, मन्नू का ढोलक बजाना आरंभ होते ही लोग जानते थे कि अंत में उसकी ढोलक का बैंड बजने वाला है। गाँव वाले इस पर मन्नू को खूब चिढ़ाते थे। "अरे मन्नू, तुम्हारे ढोलक का जीवन बड़ा छोटा है, बिल्कुल तुम्हारे सपनों जैसा!" यह सुनकर मन्नू मुस्कुराकर कहता, "अगर ढोलक न फूटे, तो संगीत को उसकी आजादी कैसे मिलेगी?"

खास आयोजन

एक दिन गाँव में बड़े मेले का आयोजन हुआ। इस बार मन्नू को गाँव के मुखिया ने ढोलक बजाने का मुख्य जिम्मा सौंपा। उन्होंने मन्नू से कहा, "देखो मन्नू, ये मेला हमारे गाँव का गौरव है। अगर तुमने यहाँ भी ढोलक फोड़ दी, तो तुम्हारे नाम का भंडाफोड़ हो जाएगा!" मन्नू ने सिर खुजाते हुए जवाब दिया, "मुखिया जी, इस बार मैं अपनी ढोलक को फोड़ने नहीं दूँगा, बल्कि इसे गा-गा कर रोने भी दूँगा।"

मन्नू की तैयारी

अब मन्नू ने सोचा कि उसे कुछ अलग करना पड़ेगा। उसने बाजार से जाकर महँगी और मजबूत ढोलक खरीदी। साथ ही, उसने इंटरनेट से "ढोलक कैसे न फूटे" पर वीडियो भी देखे। उसकी मेहनत देखकर गाँव वाले हैरान थे। "क्या मन्नू सच में इस बार ढोलक बचा लेगा?" सबने सोचा।

मेले का दिन

मेले के दिन मन्नू ने पूरे जोश से ढोलक बजाना शुरू किया। उसकी धुन इतनी शानदार थी कि लोग तालियों की गड़गड़ाहट से उसका स्वागत कर रहे थे। लेकिन मन्नू की आदत ने फिर उसे धोखा दिया। उसने ढोलक पर इतनी जोर से हाथ मारे कि ढोलक ने "धड़ाम" की आवाज के साथ दम तोड़ दिया। चारों ओर सन्नाटा छा गया।

मन्नू का जवाब

मुखिया क्रोधित हो गए और बोले, "मन्नू, तुमसे एक ढोलक तक नहीं संभली। अब क्या जवाब दोगे?" मन्नू ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुखिया जी, ढोलक फूटी है लेकिन मैंने लोगों के दिल जोड़ दिए हैं। देखिए, सबने मेले का भरपूर आनंद लिया। यही तो मेरी जीत है!" उसकी इस बात पर गाँव वाले हँस पड़े और ताली बजाने लगे।

मन्नू की प्रेरणा

मन्नू की बातों ने लोगों को सिखाया कि सफलता की राह में असफलताएँ आती हैं, लेकिन उनका मतलब यह नहीं कि हम रुक जाएँ। उसने यह भी दिखाया कि किसी के हँसने का कारण बनना भी एक बड़ी उपलब्धि है।

अंत में

उस दिन के बाद मन्नू ने ढोलक बजाने के साथ-साथ ढोलक बनाने का काम भी शुरू कर दिया। अब उसकी बनाई गई ढोलकें इतनी मजबूत थीं कि वे कभी नहीं फूटती थीं। उसकी कहानी न केवल हास्यपूर्ण थी, बल्कि यह सबको सिखा गई कि जीवन में गिरने और उठने का खेल चलता रहता है। असफलता को गले लगाओ, और एक नई शुरुआत करो।

सीख: "असफलता वो सीढ़ी है, जो आपको सफलता के ऊँचाइयों तक पहुँचाती है। और हँसी वो दवा है, जो हर दिल का बोझ हल्का करती है।" मन्नू की कहानी हर किसी को यह प्रेरणा देती है कि जीवन में हिम्मत और हास्य का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

क्या यह कहानी आपके लिए प्रेरणादायक और मनोरंजक रही?

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